छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव टाले जाने के संकेत: अप्रैल के बाद संभावित चुनाव



चुनाव प्रक्रिया में देरी के कारण
छत्तीसगढ़ में महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया रद्द होने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि निकाय चुनाव मार्च-अप्रैल से पहले नहीं होंगे। इस देरी के पीछे कई अहम वजहें हैं:

1. मतदाता पुनरीक्षण की जरूरत
हर साल 1 जनवरी से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम शुरू होता है। नए मतदाताओं को जोड़ने और प्रक्रिया पूरी करने में लगभग एक महीने का समय लगता है। यह प्रक्रिया 2025 में भी दोहराई जाएगी, जिससे चुनाव में देरी तय है।


2. बोर्ड परीक्षाओं का प्रभाव
फरवरी और मार्च में बोर्ड परीक्षाओं के चलते शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी में शामिल करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, बोर्ड परीक्षाओं के बाद कॉपी जांच का कार्य भी अप्रैल तक जारी रहेगा।



आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव
सरकार ने महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया की तारीख 27 दिसंबर से बढ़ाकर 7 जनवरी 2025 कर दी है। इस बदलाव के कारण आचार संहिता लागू होने की संभावना भी टल गई है।

राजनीतिक गतिविधियों में तेजी
आरक्षण प्रक्रिया की तारीख बढ़ने से सरकार और विपक्ष दोनों को अपनी संगठनात्मक तैयारियों का समय मिल गया है। भाजपा मंडल और जिले के अध्यक्षों की नियुक्ति कर रही है, जबकि सरकार कैबिनेट के संभावित बदलावों पर विचार कर रही है।

पंचायत चुनाव भी प्रभावित
इससे पहले पंचायत चुनावों के लिए भी आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव किया गया था, जो निकाय चुनावों में देरी के संकेत देता है।

अगले कदम का इंतजार
निकाय चुनाव अब मार्च-अप्रैल के बाद ही संभावित हैं। इस बीच, सरकार और चुनाव आयोग की ओर से नई तारीखों की घोषणा का इंतजार है।


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