विधानसभा सत्र से पहले छत्तीसगढ़ कैबिनेट की अहम बैठक: विधेयकों और निकाय चुनाव पर होगा बड़ा फैसला
रायपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आज 11 दिसंबर को महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। यह बैठक इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि राज्य में 16 से 20 दिसंबर तक विधानसभा का शीतकालीन सत्र आयोजित होना है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किए जाएंगे और अनुपूरक बजट पर भी चर्चा होगी।
कैबिनेट बैठक में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, आगामी नगर निगम और नगर पालिकाओं के महापौर और अध्यक्ष के चुनाव की प्रणाली में बदलाव और ओबीसी आरक्षण पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है।
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बैठक के प्रमुख एजेंडे और प्रस्ताव
1. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए विधेयकों और अनुपूरक बजट पर मंजूरी
आगामी विधानसभा सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों और अनुपूरक बजट के प्रस्तावों पर चर्चा और मंजूरी दी जाएगी।
कैबिनेट बैठक के दौरान इन विधेयकों के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाएगा, ताकि सत्र के दौरान इन्हें सदन के पटल पर रखा जा सके।
2. नगर निगम और पालिका चुनाव: चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव
पिछली कैबिनेट बैठक में, नगर निगमों के महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया गया था।
इस बदलाव के तहत अब नगर निगमों और नगर पालिकाओं के महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता सीधे करेगी, जो पहले अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत नगर पालिका के पार्षदों द्वारा किया जाता था।
इस बदलाव के लिए छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम अधिनियम, 1956 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम, 1961 में संशोधन के लिए अध्यादेश 2024 का प्रारूप तैयार किया गया था, जिसे आज की बैठक में अंतिम मंजूरी दी जा सकती है।
3. ओबीसी आरक्षण में बड़ा बदलाव
त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए नई व्यवस्था की गई है।
पहले, नगरीय निकायों में ओबीसी आरक्षण की सीमा 25% थी, जिसे अब बढ़ाकर 50% तक किया जा सकता है।
यह आरक्षण ओबीसी की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। कैबिनेट में इस पर औपचारिक मुहर लगाई जा सकती है।
4. पर्यटन को उद्योग का दर्जा
छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का निर्णय लिया है।
इस फैसले के तहत पर्यटन, मनोरंजन और अन्य सामाजिक सेवा क्षेत्रों को राज्य की नई औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत लाया जाएगा।
पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से इस क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।
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पिछली कैबिनेट बैठक में हुए अहम फैसले
महापौर और अध्यक्ष का प्रत्यक्ष चुनाव:
अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 1999 के पहले महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था।
बाद में, भूपेश बघेल सरकार ने इसे अप्रत्यक्ष प्रणाली में बदल दिया था, जहां पार्षद महापौर का चुनाव करते थे।
अब विष्णुदेव साय सरकार ने इसे फिर से प्रत्यक्ष प्रणाली में बदलने का फैसला किया है।
ओबीसी आरक्षण में संशोधन:
नगरीय निकायों और पंचायतों में ओबीसी आरक्षण की अधिकतम सीमा 25% थी।
नए फैसले के तहत, ओबीसी की जनसंख्या के आधार पर आरक्षण सीमा बढ़ाई जाएगी, जिसे अधिकतम 50% तक किया जा सकता है।
पर्यटन को उद्योग का दर्जा:
छत्तीसगढ़ में पर्यटन और मनोरंजन क्षेत्र को औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत उद्योग का दर्जा दिया गया है।
यह फैसला पर्यटन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने, रोजगार बढ़ाने और पर्यटन स्थलों के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
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आगामी विधानसभा सत्र में पेश होने वाले प्रस्ताव
1. विधेयकों का प्रस्तुतीकरण: विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कई अहम विधेयक पेश किए जा सकते हैं, जिनमें ओबीसी आरक्षण, निकाय चुनाव और वित्तीय प्रावधानों से जुड़े विधेयक शामिल हैं।
2. अनुपूरक बजट: राज्य सरकार के कामकाज के लिए अतिरिक्त बजटीय प्रावधानों को लागू करने के लिए अनुपूरक बजट लाया जाएगा।
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निकाय चुनाव पर नजर: सत्र के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान
सूत्रों के अनुसार, नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान विधानसभा सत्र के बाद किया जा सकता है। इस चुनाव में प्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पहली बार कराया जाएगा। यह चुनाव जनता के सीधे वोट से होगा, जिससे जनता की भागीदारी और जवाबदेही बढ़ेगी।
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निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले राज्य की चुनावी रणनीति, ओबीसी आरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलावों को दर्शाते हैं। महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का प्रत्यक्ष चुनाव, ओबीसी आरक्षण में बदलाव और पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने के फैसले से राज्य की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है।
आगामी विधानसभा सत्र (16-20 दिसंबर) और निकाय चुनाव की घोषणा राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। विष्णुदेव साय सरकार के ये फैसले, सरकार की नीतियों और योजनाओं को लेकर जनता के बीच लोकप्रियता बढ़ाने का प्रयास भी माने जा रहे हैं।
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