शिवमहिमा से पावन हुआ मूंगेली, गिरिबापु की कथा ने रचा अध्यात्म का सेतु



🕉️✨ मुंगेली में शिवकथा का दिव्य संगम, श्रद्धा और भक्ति से सराबोर हुआ वातावरण ✨🕉️

📍 मुंगेली - मूंगेली की शांत भूमि इन दिनों एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गई है, जहाँ
🔔 आस्था की ध्वनि, 🌊 भक्ति की लहर और 🕉️ शिव तत्व का अमृत एक साथ प्रवाहित हो रहा है।

🙏 परम पूज्य गिरिबापु के श्रीमुख से हो रही श्री शिवकथा के तीसरे दिन (गुरुवार) ऐसा दिव्य वातावरण बना, जिसने हर भक्त के हृदय को भीतर तक स्पर्श कर लिया।

📖 कथा में गिरिबापु ने:
🔹 शिव के नीलकंठ स्वरूप
🔹 उनके सर्वव्यापक रूप
🔹 ब्रह्मा जी द्वारा नारद को सुनाई गई शिवकथा
🔹 और भक्तों पर शिव कृपा के प्रसंग
...को इतनी सहजता और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया कि श्रोता केवल सुन नहीं रहे थे — 🌟 हर प्रसंग को जीवंत रूप से अनुभव कर रहे थे।

🧘‍♂️ “शिव वो नहीं जिन्हें हम बाहर खोजते हैं, शिव वो हैं जो भीतर मौन में बैठकर हमें जीवन का अर्थ समझाते हैं।”
गिरिबापु के ये वचन जैसे ही गूंजे, सैकड़ों हृदय भीतर के मौन से शिव से जुड़ते चले गए।

🎶 भजन की मधुर स्वर-लहरियों के बीच जैसे-जैसे गिरिबापु शिवमहिमा का बखान करते गए, वैसे-वैसे वातावरण 🕯️ और भी भक्तिमय होता गया।

👥 श्रद्धालु पूरी तरह कथा में डूबे रहे —
😢 कुछ की आँखों से अश्रु बह निकले
🤫 तो कुछ मौन साधकर शिव से आत्मिक रूप से जुड़ते रहे।

🪔 कथा के उपरांत:
🔸 सामूहिक आरती 🔸 दिव्य प्रसाद वितरण
💐 आयोजन स्थल को दीपों, फूलों और रूद्राक्षों से ऐसे सजाया गया था कि पूरा परिसर 🏔️ कैलाश पर्वत जैसा प्रतीत हो रहा था।

🚶‍♀️🚶‍♂️ मूंगेली ही नहीं, आसपास के गांवों और शहरों से भी श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब उमड़ा।
⛺ कथा पंडाल से बाहर तक हर कोना श्रद्धा और भक्ति से भरा हुआ था।

👏 आयोजन समिति द्वारा जलपान, बैठने और सुरक्षा की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।



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